Monday, May 24, 2010

रसप्रिया



मन एक बादल है , आवारा चलता है ,
मन एक पंछी है , दिवाना उड़ता है ,
मन एक आशिक है , बेगाना झूमता है,
मन एक आवाज है , अंजाना गूंजता है|


मन की उदासी , परछायीसी रहती है,
मन की तनहाई , अकेली सी चलती है ,
मन की तड़पन , मतवाली मचलती है,
और,
मन की बेचैनी ,आसूओमे बरसाती है |


तब अँधेरे एक कोने में ,
मोहब्बत की रोशनी जलती है ,
और,
जीवन के सफ़र में अपनी ,
जीवनसंगिनी दिखाई देती है |


तभी,
रसप्रिया के डोह में ,
मन की शांति , अंगडाईसी लेती है |

                             ---- शिवरंजन कोळवकर

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